कविता

देकर असहयोग का नोटिस मुझे…

देकर असहयोग का नोटिस मुझे।
दिल बगावत पर उतारू हो गया है॥

देखकर रिश्तों की लगती बोलियां।
लगता है ये भी बाजारू हो गया है॥

कल तलक था दूध का लौटा मगर।
लगता है अब कच्ची दारू हो गया है॥

संसकारो जैसा पहले स्वस्थ था।
रूढियों सा अब बीमारू हो गया है॥

अपने वादों पर अटल रहकर जिया।
जाने अब क्यूं पलटी मारू हो गया है॥

बात करता था वफा की बस वफा की।
जाने क्यूं प्रपंच धारू हो गया है॥

खास था बेहद चलन उत्तम चरित्र था।
मिलते ही ओहदा बंगारू हो गया है॥

जाने किस अाबोहवा का है असर ये।
नेता जैसा सर्वहारू हो गया है॥

देकर असहयोग का नोटिस मुझे।
दिल बगावत पर उतारू हो गया है॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.