लघुकथा

लघुकथा : इज्जत

नशे में धुत लड़खड़ाते मित्र को सहारा देकर घर छोड़ने आये सुनील ने याद दिलाया, “देखो जगपाल तुम्हें कितनी बार समझाया है, शराब पीना अच्छी आदत नहीं है इससे न केवल तुम्हारा स्वास्थ्य बिगड़ रहा है अपितु रिश्तेदारों, सगे संबंधियों और समाज में भी बदनामी हो रही है।”

“बदनामी ! कैसी बदनामी अरे तुम क्या जानो समाज में हमारी कितनी इज्जत होती है लोग स्पेशल कमरे में बिठाते हैं, दारु, सलाद, नमकीन और अन्य जरुरी सामान इज्जत के साथ वहीं छोड़ कर जाते हैं और हाँ खाना भी वहीं टेबल पर आता है शान से। तुम पीते नहीं हो न तुम क्या जानो कितनी इज्जत करते हैं लोग। अरे तुम्हें तो कोई यह भी नहीें पूछता होगा कि खाना भी खाया है या नहीं।” जगपाल ने लड़खडाती जुबान से जवाब दिया।

“तुम्हारी बात सोलह आने सच है, खाने पीने वालों का मेजबान पूरा पूरा ध्यान रखते हैं। इतना ही नहीं गंदी नाली में गिरने पर उठाया भी जाता है और लड़खड़ाने पर घर तक भी छोड़ा जाता है, जैसे मैं तुम्हें छोड़ने आया हूँ। लेकिन मित्र यह इज्जत नहीं सहानुभूति है। ठीक उसी प्रकार जैसे एक मरीज के प्रति रखी जाती है, जिस प्रकार एक बीमार व्यक्ति की सुख सुविधा का ध्यान रखा जाता है। और रही बात खाने के लिए पूछने की तो वह इसलिए नहीं पूछा जाता क्योंकि नशा न करने वाला व्यक्ति अपना ध्यान स्वयं रख सकता है, उसे कब क्या चाहिए वह मांग लेता है।” सुनील ने उतर दिया।

अनन्त आलोक

नाम - अनन्त आलोक जन्म - 28 - 10 - 1974 षिक्षा - वाणिज्य स्नातक शिक्षा स्नातक, पी.जी.डी.आए.डी., व्यवसाय - अध्यापन विधाएं - कविता, गीत, ग़़ज़ल, हाइकु बाल कविता, लेख, कहानी, निबन्ध, संस्मरण, लघुकथा, लोक - कथा, मुक्तक एवं संपादन। लेखन माध्यम - हिन्दी, हिमाचली एंव अंग्रेजी। विशेष- हि0प्र0 सिरमौर कला संगम द्वारा सम्मानित पर्वतालोक की उपाधि - विभिन्न शैक्षिक तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा अनेकों प्रशस्ति पत्र, सम्मान - नौणी विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान व प्रशस्ति पत्र - दो वर्ष पत्रकारिता आकाशवाणी से रचनाएं प्रसारित - दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित - काव्य सम्मेलनों में निरंतर भागीदारी - चार दर्जन से अधिक बाल कविताएं, कहानियां विभिन्न बाल पत्रिकाओं में प्रकाशित प्रकाशन - तलाश (काव्य संग्रह) 2011 संपर्क सूत्र - साहित्यालोक, बायरी, डा0 ददाहू, त0 नाहन, जि0 सिरमौर, हि0प्र0 173022 9418740772, 9816642167