कविता

साँसों का मिलन

तुम साँस लेती हो शायद मेरे लिए,
मैं साँस लेता हूँ शायद तुम्हारे लिए,
इन सांसों का मिलन ही तो —
हमारा विश्वास है,
और इसी विश्वास में–
जीवन की हर आस है,
यही विश्वास हमें देता है–
सुख ,समृद्धि और शक्ति ,
इसी से उपजती है
भावना और प्रेम भक्ति,
सांसों की खुशबू से –
घर का कोना कोना महकता है,
इक दूजे के प्रति निष्ठां से-
यह घर परिवार संवरता है,
हृदय में मधुर प्यार का सागर उमड़ता है,
और संध्या में दीपक के प्रकाश से –
इस घर का आँगन ज्योति सा चमकता है,
यही एक दूसरे के प्रति सच्चा समर्पण है,
यही हमारे समर्पित जीवन का दर्पण है,
इसी में निहित है प्रेम की परिकाष्ठा ,
तभी तो एक दूसरे में रखते हैं पूरी आस्था,
हे प्रभु हमारे सांसों का मिलन कभी न टूटे
हमारा तुम्हारा यह साथ कभी न छूटे ,
——जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845