आतंकवादी का धर्म
वो चारों यूं तो अलग-अलग सम्प्रदायों से थे, लेकिन उन्हें सिखाया गया था कि उनका धर्म लोगों को मारना-काटना ही है| आज भी वो चारों एक साथ इसी इरादे से निकले| मार-काट करते हुए आगे बढ़ ही रहे थे कि एक का धर्म-स्थल आया, उसने वहां मार-काट करने के लिये मना किया तो बाकी तीन ने उसी को काट कर वहाँ मार-काट मचा दी|
फिर कुछ और आगे बढे तो दूसरे का पूजा-घर आया, उसने मना किया तो बाकी दो ने उसकी हत्या कर वहाँ मार-काट की| थोड़ा और आगे जाने पर तीसरे का प्रार्थना-स्थल आया, उसने मना किया तो चौथे ने उसका गला काट कर अकेले ही वहाँ मार-काट कर दी|
चौथा और आगे बढ़ा तो उसका अपना धार्मिक-स्थल आया, वो वहाँ से चुपचाप सिर झुका कर आगे निकल ही रहा था कि पीछे से एक गोली चली और उसकी पीठ के रास्ते सीने में धंस गयी| मरते-मरते उसने पीछे देखा तो उसकी आँखें आश्चर्य से फ़ैल गयी, उसे गोली मारने वाला एक नेता था, जिसे उसने हर धार्मिक-स्थल पर सबसे पहले भागते हुए देखा था|
— चंद्रेश कुमार छतलानी