सर्वश्रेष्ठ धर्म
चार अलग-अलग धर्मों के लोग अपने अपने धर्म गुरुओं से शिक्षा लेकर कई वर्षों पश्चात् पुनः एक स्थान पर आकर मिले|
चारों उत्सुक थे कि बाकियों ने क्या सीखा? जब बात की तो चारों के पास एक ही उत्तर था, “मेरा धर्म सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि मेरी प्रार्थना की विधि उत्तम है और अच्छे कार्य करो…”
चारों आश्चर्यचकित हो उस पंक्ति के गूढ़ में गए और आखिरकार एक नयी पंक्ति बना ली जो सर्वमान्य थी, “अच्छे कार्य करो, यही सर्वश्रेष्ठ प्रार्थना है” उन्होंने इस धर्म-निरपेक्ष पंक्ति को सभी तरफ फ़ैलाने के लिये प्रयास आरम्भ किये|
कुछ ही वर्षों में उनका एक नया धर्म बन गया और एक नये प्रकार का धार्मिक स्थल भी|
— चंद्रेश कुमार छतलानी
लघु कथा अच्छी लगी ,दुनीआं में कुछ लोग जब धर्मों में आई बुरी बातों को देखते हैं तो अपने अपने ढंग से सुधार लाने की कोशिश करते हैं .उन की सोच सही होती है लेकिन कुछ देर बाद यह एक नया धर्म बन जाता है और सही सोच कर्म काण्ड में दब कर रह जाती है .