जागो भोर हुई…
पंछी मधुरस घोल रहे हैं
चहचाहट कर बोल रहे हैं
जागो भोर हुई।
मंदिर के घंटों बजते हैं
दीप आरती स्वर सजते है
जागो भोर हुई।
पूरब लाली ले मुस्काया
सूरज ने तम दूर भगाया
जागो भोर हुई।
हरियाली पर बिखरे मोती
जागी आशाओं की ज्योति
जागो भोर हुई।
फूलों ने खुशबू घोली हैप्पी
कलियों ने अंगडाई ली है
जागो भोर हुई।
नव किरणें लेकर आयी है
धूप ने बाँहें फैलाईं हैं
जागो भोर हुई।
करता है नव दिन अभिनंदन
आओ करे ईश का वंदन
जागो भोर हुई।
— सतीश बंसल