जीवन सफल बनाइए
देखो आज कलियुग, मानव से प्यार नहीं,
कौन ऐसा सुखी है, संसार में बताइए ।
काम-क्रोध-लोभ अहंकार से जलते सब,
प्रेम रूप जल से जलन बुझाइए ॥
भरत-लक्ष्मण जैसे त्यागी नही शूरवीर,
कर्ण जैसे दानवीर बनके दिखाइए ।
तन ऐसा सुन्दर रथ इन्द्रियाँ बने अश्व,
मन की लगाम से तुम उनको दौड़ाइए ॥
बुद्धि को बिठाओ आगे बन जाए सारथी वो,
हाथ में ज्ञान की तलवार को थमाइए ।
काम-क्रोध-लोभादि शत्रुओं को मार पहले ।
वैराग्य रूप ढाल से स्वयं को बचाइए ॥