कविता

जीवन सफल बनाइए

देखो आज कलियुग, मानव से प्यार नहीं,
कौन ऐसा सुखी है, संसार में बताइए ।
काम-क्रोध-लोभ अहंकार से जलते सब,
प्रेम रूप जल से जलन बुझाइए ॥

भरत-लक्ष्मण जैसे त्यागी नही शूरवीर,
कर्ण जैसे दानवीर बनके दिखाइए ।
तन ऐसा सुन्दर रथ इन्द्रियाँ बने अश्व,
मन की लगाम से तुम उनको दौड़ाइए ॥

बुद्धि को बिठाओ आगे बन जाए सारथी वो,
हाथ में ज्ञान की तलवार को थमाइए ।
काम-क्रोध-लोभादि शत्रुओं को मार पहले ।
वैराग्य रूप ढाल से स्वयं को बचाइए ॥

शिवानी शर्मा

नाम-शिवानी शिक्षा--B.Com. MBA. & Montessori diploma. जन्मदिन- 6 मार्च स्थान- जयपुर (राजस्थान) रूचि--लिखना,पढना,संगीत सुनना ,बाते करना ,घूमना और बच्चों के साथ खेलना। परिचय -झीलों की नगरी उदयपुर में जन्म लिया और बचपन बिताया ! पहले पिताजी की और फिर पति महोदय की नौकरी ने कई शहरों में - उदयपुर, अलवर,जयपुर, बांसवाड़ा, इन्दौर और अभी अजमेर, प्रवास के सुअवसर प्रदान किये। 1990 से आकाशवाणी से जुड़ी रही हूं जहाँ मेरे लिखने और बोलते रहने का शौक पूरा होता रहा है। अब दूरदर्शन से भी जुड़ गयी हूं और काव्य गोष्ठियों का हिस्सा बन रही हूं। अच्छा साहित्य पढ़ने के शौक ने छात्र जीवन में ही हाथ मे कलम थमा दी थी और अभी भी सीख रही हूं मन की बात कहना! विभिन्‍न पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाओं को स्थान मिल रहा है जिनमें "राजस्थान पत्रिका " दैनिक भास्कर व "अटूट बंधन " "मंडी टुडे" "सारा सच" "लोक जंग" आदि भी शामिल हैं । कुछ काव्य संग्रहों का संपादन, मंच संचालन भी कार्यानुभव में शामिल है। "अजमेर पोएट्स कलेक्टिव" संस्था की सह-संस्थापक भी हूं। "साहित्य गौरव" सम्मान से सम्मानित जो भी मिला है जीवन से,समाज से,उसमें अपने अनुभव और एहसास पिरो कर वापस कर देती है मेरी कलम , जिसे आप कविता/कहानी कहते हैं। ........ शिवानी जैन शर्मा