कोई है
कोई है
कोई है
जो मन की ओट में
खड़े-खड़े सब सुनता है
कोई है
कोई है
जो करता कुछ नहीं
बस कुछ गढ़ता कुछ बुनता है
कोई है
कोई है
जो देख संसार को
कोने में, ओट में सर धुनता है
कोई है
कोई है
एक कायर, अंदर मेरे
बिखरे नीड़ों के तिनके चुनता है
कोई है
कोई है
कोई तो है
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