चित्र अभिव्यक्ति
@जीव ही जीव के चक्कर में@
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एक जीव ही जीव के चक्कर में पड़ा हुआ है।
पानी के बीच धारा के छोर पर अड़ा हुआ है।
अपने पेट की क्षुधा को शान्त करने के लिये,
एकाग्रचित्त ध्यानमुद्रा में देर से खड़ा हुआ है ।१।
मिले न मिले स्थिरता का भाव लिये पड़ा हुआ है।
उम्मीद की समा जलाये पानी के संग सटा हुआ है।
अब मिलेगा-कब मिलेगा अपने मन में गुनते हुए,
शान्त – स्वभाव का प्रतीक बनकर डटा हुआ है ।२।
•••••@रमेश कुमार सिंह/२७-११-२०१५@•••••••