गीत/नवगीत

देखकर बहता लहु ये चोटियां हैरान है….

देखकर बहता लहु ये चोटियां हैरान है।
नोच डाली किसने ज़न्नत कौन वो शैतान है॥

इन फ़िज़ाओं में घुला है, क्यूं ये नफरत का जहर।
ढा रहा है इंसान क्यूं इंसांनियत पर ही कहर॥
धर्म तेरे नाम पर कैसा ये कत्लेआम है….
नोच डाली किसने ज़न्नत कौन वो शैतान है…..

रक्त के आंसू लिये बहने लगी है क्यूं चिनाब।
किसने झेलम का ये आंचल तार कर डाला जनाब॥
किसने लूटी भारती की ये अज़ीमोशान है….
नोच डाली किसने ज़न्नत कौन वो शैतान है……

क्यारियां केसर की ख़ाक ए ग़र्द में क्यूं मिल गईं।
कयूं यहां तहज़ीब की आला इमारत हिल गई॥
शोखियां डल की क्यूं मरघट सी हुई वीरान हैं…..
नोच डाली किसने ज़न्नत कौन वो शैतान है…..

इस सियासत के घिनौने रूप को मैं क्या कहूं।
चाह में ताज-ओ-तख्त की तु बहाती है
लहु॥
कौन दुनिया में भला तुझसे बडा बेईमान है…
नोच डाली किसने ज़न्नत कौन वो शैतान है…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.