कविता

माचिश की तीलियाँ

जल- जलके माचिश की तीलियाँ
कर देतीं रौशन घर, मंदिर ‘चौबारे
आबाद कर देतीं घर घर का चूल्हा
वे तो मनाती हैं सबकी खैर
थामे कोई अपना या गैर ।।
जल- जलके करतीं रौशन चराग
बुझाती रहती पेट की आग
सुलझाती रहीं रोजी -रोटी के मसले
लहलहाती रहीं कुनबों की फसलें
बशर्ते जबतक रहती वे सही हाथों में ।।

— आरती वर्मा ‘नीलू’

आरती आलोक वर्मा 'नीलू'

आरती वर्मा ,"नीलू" W/o----श्री आलोक कुमार वर्मा शिक्षा ---एम ए स्नातक----(भूगोल) स्नातकोतर--(इतिहास) आनंद नगर, सिवान, बिहार जिला -सिवान, शहर--सिवान बिहार राज्य शौक --लेखन ,चित्रकारी पेशा---गृहिणी