धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

******* संत विवेकानन्द ********

स्वामी विवेकानंदजी की जन्मवर्षगाँठ के उपलक्ष में कविता

******* संत विवेकानन्द********

जन जन के हृदय में फूंका स्वतंत्रता का शंखनाद
कलकत्ता की धरती पर जन्मे संत ने किया कमाल,
उठो, जागो और तब तक रुको नही
जब तक मंजिल न हो जाए प्राप्त,
सिखा, कराया आत्म गौरव का भान,

सत्कर्मों के पुण्य फलों से
माँ भुवनेश्वरी और पिता विश्वनाथ ने,
पाया निर्भीक और बुद्धिमान पुत्र “नरेन्द्र नाथ”
आत्मज्ञान से जिसने अपनाया सन्यासी का चोला,
गुरु रामकृष्ण ने शिक्षा दी और
दुनिया ने संत विवेकानंद बोला,

सहनशीलता की मूरत बन
दीन दुखी को गले लगाया,
कर्मयोगी बन नर सेवा को
अपने सर माथे लगाया,
दया , करुणा के स्तम्भ बन
अपनी कुशाग्र बुद्धि का संसार में लोहा मनवाया,

पुरे विश्व को अध्यात्म सिखा
विश्व धर्म सभा के मंच पर ओजस्वी वाणी से,
युवाओं में शक्ति का संचार किया
पश्चिम ने संत को भारत की आज़ादी का दूत बताया,
राम कृष्ण मिशन को जीवन का आधार बना
बेलूर के गंगा घाट से लेकर पुरे विश्व में,
भारतीय धर्म दर्शन अद्वैत वेदांत की श्रेष्ठता का डंका बजा
जातीय और धार्मिक एकता का मार्ग दिखाया,

समाज की कुरीतियों के प्रवर्तक बन
वेदों को घर घर पहुचाया,
सम्पूर्ण विश्व के जननायक बन
भारतीय संस्कृति से दुनिया को अवगत कराया,
पराधीन भारतीय समाज को उन्होंने
स्वार्थ, प्रमाद व कायरता की नींद से झकझोर कर जगाया,

हज़ारों साल में होते हैं ऐसे संत पैदा
इनके चरणो में कोटि कोटि नमन मेरा नमन मेरा ।।

_________________________ प्रीति दक्ष

प्रीति दक्ष

नाम : प्रीति दक्ष , प्रकाशित काव्य संग्रह : " कुछ तेरी कुछ मेरी ", " ज़िंदगीनामा " परिचय : ज़िन्दगी ने कई इम्तेहान लिए मेरे पर मैंने कभी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा और आगे बढ़ती गयी। भगवान को मानती हूँ कर्म पर विश्वास करती हूँ। रंगमंच और लेखनी ने मेरा साथ ना छोड़ा। बेटी को अच्छे संस्कार दिए आज उस पर नाज़ है। माता पिता का सहयोग मिला उनकी लम्बी आयु की कामना करते हुए उन्हें नमन करती हूँ। मैंने अपने नाम को सार्थक किया और ज़िन्दगी से हमेशा प्रेम किया।