कविता

…तो जानें

अपने लिए तो जीते हैं सब

औरों के लिए भी मर कर बताओ

…. तो जानें

मौत से जीते हो मगर

जीवन से जीवन को भर कर बताओ

…. तो जानें

 

तुम बड़े वीर हो

सबको हराया है तुमने

डटे रहे मैदान में

विजय-ध्वज लहराया है तुमने

लडाइयाँ बहुत जीती हैं तुमने

ज़रा घायलों को मरहम लगाओ

…. तो जानें

अपने लिए तो जीते हैं सब

औरों के लिए भी मर कर बताओ

…. तो जानें

 

बहुत ऊँचे उठे हो

बहुत आगे बढ़े हो

सबसे अलग हो

सबसे ऊपर चढ़े हो

आसमाँ तो छू लिया तुमने

ज़रा दिलों को छूकर दिखाओ

…. तो जानें

अपने लिए तो जीते हैं सब

औरों के लिए भी मर कर बताओ

…. तो जानें

 

रोते तो सभी हैं

सभी को दुख होता है

क्या नया है जो

तू अपने दर्द पर रोता है

हौसलों के टूटने पर रोते सभी हैं

तुम इस बार मुस्कुराओ

…. तो जानें

अपने लिए तो जीते हैं सब

औरों के लिए भी मर कर बताओ

…. तो जानें

 

बहुत विनम्र होगे तुम

बहुत कोमल शब्द तुम्हारे

जीता है जिनसे सबको

फिर भी जो बहे अश्रु खारे

तो क्या काम आया ये स्नेह

तुमसे जो रूठा है उसे मनाओ

…. तो जानें

अपने लिए तो जीते हैं सब

औरों के लिए भी मर कर बताओ

…. तो जानें

 

*****

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल [email protected]