मुक्तक
चरागों की पनाहों में मुहब्बत साँस भरती है
सितारों की निगाहों में अँधेरी रात चुभती है
ये माना है नही आसां मुहब्बत राह पर चलना
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है।
चरागों की पनाहों में मुहब्बत साँस भरती है
सितारों की निगाहों में अँधेरी रात चुभती है
ये माना है नही आसां मुहब्बत राह पर चलना
कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है।