गीतिका/ग़ज़ल

चेहरों के पीछे के चेहरे न पूछो..

चेहरों के पीछे के चेहरे न पूछो।
मिले जख्म कितने गहरे न पूछो॥

आजाद हर कोई दिखता है लेकिन।
हैं सांसों पे भी कितने पहरे न पूछो॥

काले हैं दिन काली रातें हैं केवल।
कहां खो गये दिन सुनहरे न पूछो॥

नही देखता एक दूजे को कोई।
क्यूं सब हो गये अंधे बहरे न पूछो॥

गुज़र तो रही हैं चाहे जैसी गुज़रे।
क्यूं हैं सोच पर भी पहरे न पूछो॥

गिरने की अब कोई हद ही नही है।
क्यूं बन बैठे हाकिम लुटेरे न पूछो॥

इंसांनियत के तेरे इस जहां में।
क्यूं शैतानियत के हैं फेरे न पूछो॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.