गीत : रोहित की आत्महत्या
(हैदराबाद विश्विद्यालय के छात्र रोहित की आत्महत्या पर हिन्दू समाज को तोड़ने वाली राजनैतिक एवं राष्ट्रविरोधी साजिश को व्यक्त करती मेरी ताज़ी कविता)
अरे क्रन्ति के दूत!प्रणेता रोहित!ये क्या कर डाला?
तुमने तरुणाई के घट में कायरता को भर डाला,
तुम तो बाबा साहब की सेना के वीर सिपाही थे,
युवा शक्ति के संवाहक थे, इंकलाब की स्याही थे,
लेकिन तुम अवसाद ग्रस्त हो,पीठ दिखाकर चले गए,
खुद लटके फांसी पर,लेकिन आग लगाकर चले गए,
तुम तो हिम्मतवाले थे,हर आंधी से टकराये थे,
मेमन की फांसी पर तुम ही खुले आम चिल्लाये थे,
तुम ही थे जो न्यायतंत्र को गाली देने वाले थे,
विद्यालय में गौ मांस की थाली देने वाले थे,
तुम हिंदुत्व विरोधी गुट के कठमुल्लों के सगे रहे,
फेलोशिप करने आये थे,लीडरशिप में लगे रहे,
पति बिछोह सहती माता की त्याग तपस्या भूले थे,
छोड़ पढ़ाई ओवैसी की बाहं पकड़ कर झूले थे,
हिम्मत वाला रोहित क्यों कर,मर्यादा के पार गया,
बड़ी बड़ी बातें करने वाला जीवन से हार गया,
गले मौत को आज लगाकर,तुम बवाल को जमा गए,
एक नया मुद्दा फिर से ड्रामेबाजों को थमा गए,
देखो फिर एवार्ड वापसी गैंग समूचा जागा है,
मम्मी की गोदी से उठकर पप्पू सरपट भागा है,
किसी जीव के मरने पर ज्यों कौए चील मचलते हैं,
उसी तरह से लार चुआते,नेता घर से चलते हैं,
कुछ दलितों का रोना रोते, कुछ तो पहुंचे थाने पर,
केसरिया को गाली देते,है हिंदुत्व निशाने पर,
दलितों को हथियार बनाकर,धर्म सनातन कोसे हैं,
जेहादी मंसूबो वाले इनको पाले पोसे हैं,
मेरे भारत के लालों,खुद अपनी डाल न काटो जी,
हिन्दू को हिन्दू रहने दो,नहीं जाति में बांटो जी,
दलित विरोधी होता भारत तो हम श्रेष्ठ न कहलाते,
अम्बेडकर कभी भारत का संविधान ना लिख पाते,
हम केवट शबरी को ऊंचा आसन देने वाले हैं,
मायावति को लखनऊ का सिंघासन देने वाले हैं,
कुछ पंडों की खुराफात को सब लोगों पर थोपो मत,
गजनबियों की साजिश वाला खंज़र दिल में घोंपो मत,
ऐ हिन्दू तू एक रहे,या मिटने की तैयारी कर,
या तो खुद को मार सके या खतने की तैयारी कर,
— कवि गौरव चौहान