ऐ देश मेरे!
ऐ देश मेरे! तेरा रंग निराला है।
मगर क्या तू कभी आगे बढ़ने वाला है?
क्योंकि तेरे हर शुभ काम से पहले
तुझे यहाँ की औरतों अपनी हाय लगाती हैं
वहीं औरतें जो रह रहकर
कभी सीता, कभी द्रौपदी कभी निर्भया बना दी जाती हैं
तेरे आगे बढ़ने से पहले ही
यहां के आदमी सामने से देते हैं छींक
तेरे हर अवार्ड, हर उपलब्धि पर
नज़र आती है हिन्दुस्तानी पान की पीक
क्यूंकि तेरे हर कदम को यहां
यह कह कर रोक-टोक दिया जाता है।
कि इस कदम से बता भला
हमारी सभ्यता-संस्कृति का क्या नाता है।
ऐ देश मेरे! माना कि तेरा रंग निराला है।
मगर क्या तू कभी आगे बढ़ने वाला है?
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भारत की सत्री का भारत में स्थान बता कर विअंग कस दिया है .
जी….ऐसा ही होता है….जिस परिवार में नारी का सम्मान नहीं होता वह चाह कर भी आगे बढ़ नहीं सकता……वही हाल देश का होता है