वर्ण पिरामिड
रे
बंसी
बजाई
हरजाई
सगरी सुध
बिसराई झट-
पट गोपिन आई
*************
वो
तेरी
छुअन
मोहे मन
प्रेम अगन
जगे है सजन
आओ मधुसूदन
*************
रे
मन
पगले
परदेसी
दूर बसे है ।
तड़पत यूं है ।
जल बिन मछली
— चंद्रकांता सिवाल
रे
बंसी
बजाई
हरजाई
सगरी सुध
बिसराई झट-
पट गोपिन आई
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वो
तेरी
छुअन
मोहे मन
प्रेम अगन
जगे है सजन
आओ मधुसूदन
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रे
मन
पगले
परदेसी
दूर बसे है ।
तड़पत यूं है ।
जल बिन मछली
— चंद्रकांता सिवाल
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वर्ण पिरामिड बहुत पसंद आई और समझने में भी कोई दिकत नहीं आईं .