सुबह की बेला में
सुबह की बेला में,
जब निकलते हैं बाहर
मिलते हैं लोग पथ पर,
परस्पर बातें करते हुए,
अग्रसर बढते हुए सुदूर इलाके में,
अपने कदम को बढाते हुए,
ठण्डी हवाओं को स्पर्श करते हुए।
अपने स्वास्थ्य के प्रति,
जागरूकता का भाव मन मे लिए।
कुछ युवाओं ने
झिलमिलाती हुई ओस की बुन्दो के बीच में,
लक्ष्य साधे हुए हैं,सरपट दौड़ते हुए
आगे उन्नति करने के लिए,
शरीर को पुष्ट करने के लिए।
कुछ बच्चे भी,
अपनी सुबह की मधुर मुस्कान लिए।
प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगा रहे हैं
उनकी भी तमन्ना है कुछ करने की,
एक नई खोज करने की,
एक नया रास्ता बनाने की,
दुनिया को असीम ऊँचाई तक ले जाने की।
सत्तरह के पार की उम्र लिए,
जीने की आश कहें,
या कहें मरने की आशंका से,
वो भी बाहर निकलकर,
ठण्ड लगने की परवाह न करते हुए,
बढतें हैं सुदूर इलाके में,
बनी हुई पगडण्डी पर।
करतें हैं नाना प्रकार के व्यायाम,
देते हैं अपनी सूखती हड्डियों में जान।
हमारे लिए एक नई राह बनाते हैं
हमारे लिए एक नई सोच पैदा करते हैं
देश को आगे बढ़ने के लिए,
नया संदेश देते हैं!!!
@रमेश कुमार सिंह /११-१२-२०१५
बहुत खूब .
शुक्रिया आदरणीय !
अच्छी है।
शुक्रिया आदरणीया!