सुबह की ठन्डी हवा मेरे तन में लगी।।
सुबह की ठन्डी हवा मेरे तन में लगी।
आलस्य हटती, मेरा मन हर्षित हुआ।
कनकनी मोती की तरह बिखरने लगी।
चारो तरफ तस्वीर सुन्दर बनने लगी।
अनकहा सा कहीं मन मचलने लगा।
जब नैनो से नैन कई बार मिलने लगा।
जैसे तस्वीर कोई मेरे अन्दर घर कर गई।
दूर होने की कोशिश में पास आ गई।।
अपने अन्दर ही दिल में जगह दे दिया।
जब मन को छुआ, दिल में कुछ हुआ।
कहना चाहा लेकिन,कुछ कह न सका।
तब याद बन गई दिल में रह न सका।।
@रमेश कुमार सिंह /२०-१२-२०१५