सामाजिक

दहेज

विकासशील देश भारत विकास की ओर नीत प्रतिदिन बढता भारत ।पर क्या नारी की दशा में कोई बदलाव आया है?यहां लडकीयो को केवल इसलिए गर्भ में मार दिया जाता है क्योंकि विवाह मे दिए जाने वाले उपहार को प्रेम उपहार को दहेज रूपी सुरसा का नाम दे दिया गया है ।पर सच में दहेज है क्या?दहेज -मां बाप सगे सम्बन्धीयो द्वारा बेटी को उसकी नए जीवन में प्रवेश हेतु प्रेम से दिए उपहार ।लेकिन आज कल इसे मां बाप की मजबूरी बना दिया गया है । कन्या पक्ष कन्या का विवाह कर कन्यादान नहीं करते अपितु वर को खरीदते हैं ।ज्यादा से ज्यादा बोली लगाकर ।फिर इस पर भी लडकी से आशा की जाती है कि वह ससुराल में सास ससुर और पति को सम्मान दे ।फिर भी एक सवाल मुझे परेशान कर रहा है ।जब हम फ्रिज मोबाइल या टीवी खरीदते हैं तो उनके साथ आने वाली एसेसरीज का सम्मान करते है?तो खरीदे गए पति के साथ आने वाली एसेसरीज का क्यों?

अनुपमा दीक्षित मयं

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - [email protected]

One thought on “दहेज

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    पुरानी पीड़ी बदलेगी नहीं ,नई पीड़ी को बदला लाना चाहिए .होता यह है कि जिस के साथ ऐसा होता है जब उस के बच्चे शादी के काबल होते हैं तो वोह भी ऐसा सोचने को मजबूर हो जाता है कि जब उस के साथ ऐया हुआ था तो वोह क्यों बदले ? बस यह एक चेन बन गई है , इस को तोड़ने का इन्कलाब लाना चाहिए .

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