गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

आधार छन्द आनंदवर्धक
मापनी -2122 2122 212
समान्त -आना
पदान्त – आ गया
याद इक किस्सा पुराना आ गया।
सामने बीता ज़माना आ गया।

अब न कोई देख उनको पाएगा
आँसुओं को अब मनाना आ गया।

जीतने का था हुनर उसको पता
यूं उसे हमको बताना आ गया।

क्यों समझ पाया न दिल की बात यह
अब समय सँग बस भुलाना आ गया।

ज़ख्म गहरे हैं बहुत ही यह अभी
हौंसलों से खुद सजाना आ गया।।।
कामनी गुप्ता ***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

4 thoughts on “गीतिका

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी कामनी जी,

    ज़ख्म गहरे हैं बहुत ही यह अभी

    हौंसलों से खुद सजाना आ गया.

    बहुत बढ़िया.

    • धन्यवाद जी

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया ग़ज़ल !

    • कामनी गुप्ता

      धन्यवाद सर जी

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