लघुकथा

लघुकथा – मदद

विकाश अपनी पढ़ाई के चलते घर से दूर दूसरे शहर में रहता है। विकाश की दूसरों की मदद के मामले में अलग ही सोच थी कहता था कि ‘मेरे पास ऐसा क्या है जिससे मैं किसी की मदद कर सकूँ?’ कुछ दिनों की छुट्टियों के चलते विकाश अपनी नानी के घर चला गया। विकाश को जब ये पता चला कि अगले ही दिन उसकी माँ का पथरी का आपरेशन होना है यह कभी सुनते ही जैसे विकाश के पैरों तले जमीन खिसक गयी हो। अगले ही पल विकाश अपनी नानी के साथ हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गया। जैसे ही विकाश हॉस्पिटल पहुँचा अपनी माँ के गले लगकर मन ही मन रोने लगा।

कुछ ही समय में और रिशतेदार भी पहुँच गए। लेकिन एक और समस्या विकाश का इंतजार कर रही थी। डॉक्टरों ने बताया कि शरीर में खून की मात्रा काफी कम है इसलिए उसी ब्लड ग्रुप की और ब्लड का इंतजाम करना पड़ेगा। बारी-बारी सभी ने अपना ब्लड ग्रुप चैक कराया लेकिन किसी का भी मैच नहीं किया अब तो जैसे जीने मरने की नौबत आ गयी हो। आँखों से आँसू बह रहे थे और कह रहे थे ‘हम रुकने वाले नहीं है’। इधर विकाश में अपने दोस्तों को भी फोन कर दिया कुछ ही समय में विकाश के दोस्त अभय, देव और चंदु भी पहुँच गए लेकिन फिर असफलता हाथ लगी क्योंकि उनमें से किसी का भी ब्लड ग्रुप मैच नहीं किया। आगे बढ़ती हुई घड़ी की सूईयां विकाश के दिल की धड़कन को पीछे छोड़ना चाह रही थीं और शायद यही हो रहा था क्योंकि विकाश का दिल और दिमाग दोनों ने ही मुसीबत की घड़ी में साथ देने से इंकार कर दिया था।

विकाश के मामा ने उसको संबल दिया और हिम्मत के साथ काम लेने की बात कही। सामने विकाश क्या देखता है कि उसके ताऊ के साथ एक लड़का आया है और डाक्टर से बात चल रही है लेकिन क्या यह नहीं मालूम।

अगले ही क्षण विकाश को पता चला कि किसी व्यक्ति का ब्लड ग्रुप मैच हो गया है बस फिर क्या विकाश के चेहरे से साफ दिख रहा था कि किसी ने अँधेरे में रोशनी का दीप जला दिया हो।

सफलतापूर्वक आपरेशन हो गया विकाश अपनी माँ से मिला और तुरंत उत्सुकता भरी नजरों से उस व्यक्ति को ढूँढ रहा था जिसने विकाश की माँ को ब्लड दिया।

विकाश क्या देखता है सामने वहीं वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि वही लड़का है जिसे विकाश ने ताऊ के साथ देखा था। फिर क्या विकाश तुरंत उस लड़के की ओर भागा और उस लड़के के गले लगकर रोने  लगा। बाद में पता चला कि उस लड़के का नाम विकी है और जब विकी को पता चला एक महिला को जिस ब्लड ग्रुप के ब्लड की जरूरत है वही ब्लड ग्रुप विकी का भी है तो विकी ने तुरंत मदद हेतु ब्लड देने के लिए हाँ कर दी।

यह सब सुनने के बाद विकाश ने उसी दिन से कसम खा ली कि वह कहीं भी किसी भी समय दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहेगा और जैसे भी मदद कर पाएगा जरूर करेगा।

2 thoughts on “लघुकथा – मदद

  • मनजीत कौर

    बहुत बढ़िया लघु कथा !

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी और प्रेरक लघुकथा !

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