यह पल ही है अपना
आशा ही जीवन है,
आशा ही ज़िंदगी है,
आशा ही विश्वास है,
आशा ही बंदगी है.
आशा के बल पर हम जीते हैं,
आशा के बिना जीना भी क्या जीना,
टूट गई है जिनकी आशा,
ज़हर पड़ता है उनको पीना.
भविष्य की योजना ऐसे बनाओ,
जैसे सौ साल हो जीना,
काम करो तो ऐसे करो,
जैसे अभी ही हो मरना.
अभी ही कर लो जो करना है,
बाद का इंतज़ार क्यों करना?
अगला पल किसने देखा है,
यह पल ही है अपना.
प्रिय विजय भाई जी, शानदार प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
बहुत शानदार कविता !
प्रिय गुरमैल भाई जी, आपने बिलकुल ठीक कहा है.
अभी ही कर लो जो करना है,
बाद का इंतज़ार क्यों करना?
अगला पल किसने देखा है,
यह पल ही है अपना. बिलकुल सही ,एक मिनट का भी भरोसा नहीं लेकिन सौ वर्ष जीने की तमन्ना है .
प्रिय सखी नीतू जी, शुक्रिया.
अच्छी कविता है