कविता

तेरा-मेरा आसमाँ

तुम्हारा भी उतना ही आसमां है
जितना कि मेरे पास है
फिर तुम खुशी से झूमते हो क्यूँ
और मेरा दिल क्यूँ उदास है

मंजिल के लिए साथ चले
साथ ही हम दोनों आगे बढ़े
फिर क्यूँ मुझसे इतनी दूर
मगर मंजिल तुम्हारे पास है
हथेलियां जब उतनी ही हैं
जब उतना ही तेरा-मेरा आंचल है
भरा भी दोनों भरपूर है
मुझे ही क्यूँ खालीपन का एहसास है
तुम्हारा भी उतना ही आसमां है
जितना कि मेरे पास है
फिर तुम खुशी से झूमते हो क्यूँ
और मेरा दिल क्यूँ उदास है

तेरा-मेरा दोना पानी से भरा है
प्यास तेरे-मेरे होंठों पर ठहरा है
तू क्यूँ नहीं पीता उसे
मुझ में ही क्यूँ इतनी प्यास है।
हथेलियों को तूने भी सुजाया है
मैंने भी दमभर कर हाथ लगाया है
फिर यह क्योंकर हुआ कि
केवल तेरा ही संतोषजनक प्रयास है
तुम्हारा भी उतना ही आसमां है
जितना कि मेरे पास है
फिर तुम खुशी से झूमते हो क्यूँ
और मेरा दिल क्यूँ उदास है

मेहनत तो दोनों ने ही है
पसीने से तर-बतर भी हैं
तेरी मुस्कुराहट से क्यूँ लगे
मेरी मेहनत सायास तेरी अनायास है
साधारण सा जीवन है हमारा
जिसे जीना नहीं दुबारा
फिर क्यूँ मुझे मामूली लगे
क्यूँ लगे कि तू कुछ खास है।
तुम्हारा भी उतना ही आसमां है
जितना कि मेरे पास है
फिर तुम खुशी से झूमते हो क्यूँ
और मेरा दिल क्यूँ उदास है।

नीतू सिंह 

*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल n30061984@gmail.com

7 thoughts on “तेरा-मेरा आसमाँ

  • विजय कुमार सिंघल

    मन की अच्छी अभिव्यक्ति !

    • नीतू सिंह

      धन्यवाद सर

  • विजय कुमार सिंघल

    मन की अच्छी अभिव्यक्ति !

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी नीतू जी, पेशे खिदमत है एक शेर-

    ”सखी को सखी ही रहने दो, मैडम न बनाओ,

    सखी बनने-बनाने जो आनंद है, वह मैडम कहने-कहाने में कहां?”

    • नीतू सिंह

      बहुत खूब कहा आपने

  • नीतू सिंह

    धन्यवाद मैडम! आप सखी बनेगी तो खुशी से झूम ही जाऊँगी

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी नीतू जी, उदास होने से काम नहीं चलेगा, आप भी खुशी से झूमिए. बहुत अच्छी कविता.

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