वातानुकूलित पीस ऑफ आर्ट
रोज़ सैर पर
आते-जाते समय
मेरे रास्ते में आता है
घर नं. बत्तीस
उसमें दिखता है
प्राकृतिक वातानुकूलित आर्ट पीस
जाते समय मुझे वह
हेज से बना ऊंचा हरा-भरा
प्राकृतिक वातानुकूलित आर्ट पीस
लगता है एक चट्टान की मानिंद
क्योंकि तब मुझे दिखता है
उसका दूसरा छोर भी
आते समय मुझे वह
लगता है एक दीवार की मानिंद
क्योंकि तब मुझे दिखता है
उसका दूसरा छोर भी
बहरहाल मुझे बहुत अच्छा लगता है
रुककर देखना उस
प्राकृतिक आर्ट पीस को
जो कि वातानुकूलित तो है ही
घर को सुरक्षित करता है धूप से
बनाता है वातानुकूलित
साथ ही बचाता है उसे
लोगों की प्रत्यक्ष नज़रों से
अब आप ही बताइए
इसे दीवार कहें या चट्टान!
बढिया बात !
प्रिय विजय भाई जी, शुक्रिया.
लीला बहन, मैं तो इसे आर्ट ही कहूँगा ,किओंकि इस में डब्बल परपज दिखाई पड़ता है .
प्रिय गुरमैल भाई जी, बहुत-बहुत शुक्रिया.
प्रिय सखी नीतू जी, शुक्रिया.
बढियां कविता