राजनीति

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

यक्षराज ने युद्धिष्ठिर से पूछा – धर्मराज, अत्यन्त ही संक्षेप में बताओ कि भारत नामक शान्तिप्रिय और आर.एस.एस. के एक पूर्व प्रचारक के राज में सतत प्रगति के विश्वपथ पर दौड़ रहे देश की राजधानी में पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारों का क्या सबब है ? साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में अमन विरोधी गतिविधियों का क्या राज है ?

युद्धिष्ठिर – यक्षदेव, आश्चर्य की बात है कि जिस प्रश्न के सटीक उत्तर के लिए एक वृहद ग्रन्थ लिखकर बुद्धिधर्मी चिन्तकों द्वारा पन्द्रह दिन तक गहन विश्लेषण करने के बाद निष्कर्षोपरांत उत्तर दिया जाना अपेक्षित हो, उसका तुरन्त सटीक उत्तर आप मुझ अल्पज्ञ से संक्षेप में जानना चाहते हैं I तथापि मैं अपने भाइयों की नहीं बल्कि पुण्यभूमि भारत की रक्षा के नाते अनुमान के तहत उत्तर देने का प्रयास करूंगा I मेरा अनुमान है कि बहुत ही सोची समझी, सुचिन्तित योजना के तहत देश को अशान्त करने के क्रियाकलाप पूरे देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग समूहों और व्यक्तियों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं I शान्ति से परस्पर सद्भाव से अपना जीवनयापन कर रहे हिन्दू और मुस्लिम पारस्परिक वैमनस्य की चरम स्थिति में जा पहुंचे ऐसी मंशा से कुछ अज्ञात ताकतें भारत को अशान्त कर विश्वक्षितिज पर भारत और खासतौर पर मोदीजी को बदनाम कर असफल प्रधानमंत्री सिद्ध करने के कुत्सित प्रयास कर रही हैं I

यक्षराज – धर्मराज, तुम धन्य हो, मेरा भी यही निष्कर्ष है I
इतने में सारा परिदृश्य अदृश्य हो गया I

(शायद वे दोनों, अमनपसंद भारतीयों से कहना चाहते थे कि अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों)

One thought on “अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

  • विजय कुमार सिंघल

    सही कहा जी !

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