ज.ने.वि के सबक
मैं भी इस विवि में पढ़ा हूँ. हमारे समय (1980-83) में भी इसमें वामपंथी छात्र संगठनों का बोलवाला था, लेकिन इतनी निर्लज्जता से देश विरोधी गतिविधियाँ चलाने की जुर्रत किसी की नहीं होती थी. अब तो हद ही हो गयी है. इस तरह सरेआम आतंकवादियों का समर्थन करना, दुश्मन देश का जिंदाबाद करना तथा देश को तोड़ने और बर्बाद करने के नारे लगाना घोर आपत्तिजनक है. भले ही भारतीय दंड संहिता और संविधान के अंतर्गत इसे देशद्रोह न माना जाता हो, लेकिन है यह देशद्रोह ही. यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घोर दुरूपयोग तो है ही.
इस घटना से हमें कई सबक मिले हैं, जिनको भविष्य के सन्दर्भ के लिए याद रखना अनिवार्य है-
१. वामपंथी छात्र संगठनों और राजनैतिक दलों का ऐसा वैचारिक अधःपतन हो गया है कि तुच्छ राजनैतिक लाभ के लिए वे देश के घोषित दुश्मनों को भी गले लगाने और खुला समर्थन देने के लिए तैयार हैं. इसीलिए जे.एन.यू. को बहुत से लोग जेहादी-नक्सली यूनिवर्सिटी कहने लगे हैं.
२. कांग्रेस जैसे पुराने दल के लोग वैचारिक और मानसिक दृष्टि से इतने कंगाल हो गए हैं कि देश हित और देश द्रोह में अंतर करना ही भूल गए हैं. वर्ना कोई कारण नहीं था कि इस पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष स्वयं दौड़ा हुआ आता और देशविरोधी छात्रों और संगठनों की न केवल पीठ थपथपाता बल्कि निर्लज्जता से खुला समर्थन भी देता.
३. वामपंथी ही नहीं कांग्रेस, बसपा, सपा और आआपा जैसे दल मौका आने पर देश के साथ कोई भी गद्दारी कर सकते हैं और वोट के लिए देश की इज्जत का भी सौदा कर सकते हैं. इसलिए इन पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं किया जा सकता.
सबक तो और भी हैं. पर देश की जनता इनको ही याद रख ले तो देश का हित होगा.
— विजय कुमार सिंघल
प्रिय विजय भाई जी, भ्रष्टाचार और देशद्रोहियों का खुलेआम सहयोग निश्चय ही भविष्य में देश पर खतरे खतरे के संकेतक हैं. बहुत सुंदर लेख शुक्रिया.
आभार बहिन जी! इसी बात का मुझे बहुत दुख है। पर आशा करनी चाहिए कि देश की जनता अब अधिक जागरूक होगी।
अब तक हमारे देश में भ्रष्टाचार ही का बोल बाला रहा है। लेकिन देशद्रोहियों का खुलेआम सहयोग करना पक्ष लेना यह देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है और यह संकेत देता है भविष्य में देश पर खतरे की!! बहुत सुंदर लेख आदरणीय प्रणाम!!
धन्यवाद, रमेश जी ! आपका कहना सत्य है।
हम तो यहाँ बैठे हैरान हो रहे हैं कि यह संभव कैसे हो सकता है कि कोई शरेआम दुश्मनों का साथ दे और उन के हक्क में नारे लगाए .
यही तो देश का दुर्भाग्य है भाई साहब. ऊपर से तुर्रा यह कि ऐसा करने वालों को अपने ऊपर कोई शर्म नहीं है. लेकिन अच्छा हुआ कि ये नंगे हो गए. अब संसद में और अगले चुनावों में इनको ठीक किया जायेगा.