भूल गई तुम •••
भूल गई तुम मुझे इस संसार में छोड़कर।
ले गई थी तुम मुझे अपने तरफ मोड़कर।
हृदय से, तेरे साथ मन-चंचलपन चली गई,
कितनी दूर चली गई सारा बन्धन तोड़कर।।
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जो कहना था देखती ,एकबार तुम बोलकर।
कैसे अकेलापन गुजारू जिन्दगी के मोड़पर।
रह गई बातों की सब यादें दोनों के बीच की,
सोच रहा हूँ हर-पल की मुलाकातें तोलकर।।
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तेरे जानें के बाद रह गया अकेला, रोड पर।
तुझे पाने के लिए, दिल रह गया मसोसकर।
तुम्हारे लिए मैं यहाँ भटका राही बन गया हूँ,
घुम रहा हूँ यत्र-तत्र चाहत की चादर ओढकर।।
@रमेश कुमार सिंह /२६-१२-२०१५
मुक्तक अच्छे हैं पर इनका सन्देश स्पष्ट नहीं है !
धन्यवाद आदरणीय!! स्पष्ट संदेश का मतलब आदरणीय इसमें तो यही भाव है कि कोई चला गया किसी को बिन बताये!!
सुंदर मुक्तक
आभार आदरणीय!!