हायकू
आया वसंत
नहि घर पे कन्त
कैसा वसंत ?
देखि वसंत
पतझड़ का अंत
दिक दिगन्त
हर्षित जग
करते कलरव
नभ विहंग
खिला सुमन
देखि मुदित मन
बिहसे जन
वसंत लाया
फूलो ने महकाया
कंचन काया
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
आया वसंत
नहि घर पे कन्त
कैसा वसंत ?
देखि वसंत
पतझड़ का अंत
दिक दिगन्त
हर्षित जग
करते कलरव
नभ विहंग
खिला सुमन
देखि मुदित मन
बिहसे जन
वसंत लाया
फूलो ने महकाया
कंचन काया
— राजकिशोर मिश्र ‘राज’
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आपका हाइकु पढकर बसंतकाल में बहार आ गई आदरणीय!!
प्रिय मित्र सादर आभार
बढ़िया !
आदरणीय जी हौसला अफजाई के लिए आभार एवम् नमन्
प्रिय राजकिशोर भाई जी, अति सुंदर.
बहन जी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए आभार एवम् प्रणाम