संतुलन========
मापनी —२१२ २ २१२२ २१२२ २१२
जिंदगी का संतुलन बे -जान पत्थर कह रहे /
पाट मत सागर भवन बन- शान पत्थर कह रहे/
लोक हो बेहाल हलाहल सिंधु पादप जग धरा/
जान दुनियाँ की बचा ले – ज्ञान पत्थर कह रहे/
राजकिशोर मिश्र ‘राज’
सर्वाधिकार सुरक्षित
२४/०२/२०१६
प्रिय राजकिशोर भाई जी,
गीत गाया पत्थरों ने,
सुन लिया आपके मन ने,
बधाई हो आपको हमें भी उनका संदेश सुनाया,
बहुत बढ़िया संदेश सुनाया पत्थरों ने.
आदरणीया बहन जी आपकी आत्मीय स्नेहिल हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से आभार नमन्