ना ये जमी होगी
ना ये जमी होगी
ना आसमा होगा ।
यहाँ जो भी इश्क करे
उसका ना ये जहाँ होगा ।
ना साथ कोई देगा
ये दिल तनहा होगा ।
हम जिसको चाहेंगे
वो हमको दगा देगा ।
आखों में दे आंसू
वो मुझपे हसा होगा ।
वो संगदिल क्या जाने
क्या मेरा हाल हुआ होगा ।
शीशे का हर सपना
तब चूर हुआ होगा ।
होता था हमारा जो
हमसे दूर हुआ होगा ।
अनुपमा दीक्षित मयंक
बेहतरीन कविता !