कैसे ये इश्क़ देखिये हालात करे है…
हमदम भी मेरा प्यार की बरसात करे है
आकर वो खयालो में मुलाक़ात करे है।
नज़रे यूँ मिलाकर किया इकरार तो लेकिन
कैसे ये इश्क़ देखिये हालात करे है।
नज़दीक वो बैठा है कहे कुछ न ज़बाँ से
वो अपनी निगाहों से मगर बात करे है।
डूबा है वो चाहत में मेरी कितना बताऊँ
हमदम तो आँखों आँखों में ही रात करे है ।
अरमान जगाकर वो चला जाता तो है दूर
फिर खूब खयालात में उत्पात करे है।
— दिनेश