पंख कतर आया था…….
तोड़ कर अपने वो दुश्मन की कमर आया था
सुर्खरू होके ज़माने को नज़र आया था
वो परिंदा अभी उड़ने की बहुत सोचता है
जब कि सय्याद सभी पंख कतर आया था
खूब ताकत वो दिखाता है जहाँ को अपनी
छोड़कर अपना वो मैदा में जो घर आया था
हौसलों से जो लड़ी जंग जताई हिम्मत
वो इरादों से ढहा खूब कहर आया था
सोच में डूबते रहकर भी किया क्या हासिल
बाजियां यूं भी कई जीत अगर आया था
“दिनेश”