कुंडलिया छंद
गर्व सखा कर देश पर, मतरख वृथा विचार
माटी सबकी एक है, क्यों खोदें पहार
क्यों खोदें पहार, कांकरा इतर न जाए
किसका कैसा भार, तनिक इसपर तो आएं
कह गौतम कविराय, फलित नहीं दोषित पर्व
विनय सदैव सुहाय, रखो नहीं झूठा गर्व॥
— महातम मिश्र (गौतम)
सुंदर
सादर धन्यवाद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी
बढ़िया छंद !
सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी, आभार सर