कुण्डली/छंद

कुंडलिया छंद

गर्व सखा कर देश पर, मतरख वृथा विचार
माटी सबकी एक है, क्यों खोदें पहार
क्यों खोदें पहार, कांकरा इतर न जाए
किसका कैसा भार, तनिक इसपर तो आएं
कह गौतम कविराय, फलित नहीं दोषित पर्व
विनय सदैव सुहाय, रखो नहीं झूठा गर्व॥

— महातम मिश्र (गौतम)

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

4 thoughts on “कुंडलिया छंद

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया छंद !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय सर जी, आभार सर

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