गजल
ढूंढ लिया चाँद नगर में मैंने अपना चाँद
याद कारवाँ संग चले ले कर मेरा चाँद ।
इश्क के दरिया में डूबा दिलबर मेरा
बिंदी , बाली , झूमर लागे मेरा चाँद ।
रूप चाँदनी में भीगा जब नूर मेरा
प्रेमामृत का जाम पिलाए मेरा चाँद ।
प्रेम की गलियों में अपने पहरा मारे
कैसे मिलने आऊँ बता ओ मेरा चाँद ।।
रहे साथ तुम्हारा जब तक नभ में चाँद
मन – गगन पे चमक रहा ‘मंजु‘ मेरा चाँद ।