तेरी सूरत
आज फिर उन्होंने तोड़कर इक कसम
अपनी जिन्दगी मे हमारी जगह दिखाई है
कहते हैं करते प्यार बेइन्हा हमसे
फिर हमें लगती उनकी हर बात बेबफाई है
और अब करें शिकायत भी किस किस से
ये इश्क की आग भी तो हमने ही लगाई है
काश हमने मान लिया होता जमाने का कहना
तो आज इतना दर्द ना होता चोट जो दिल पर खाई है
अब ये दुनिया कहती है मेरा होना तेरे साथ
प्यार नहीं तेरी रूसवाइ है
जिसको देखो लगा है हसने
मेरी जग में हुई हसाई है
गलती ना है इसमे कोइ मेरी
आँखो में जो तेरी सूरत समाई है
— अनुपमा दीक्षित “मयंक”