फागुन
हर फागुन बन जाऊं मैं चिरइया ।
उड तेरे धौरे चली आऊँ रे कन्हइया ।
मै तौ बन जाऊं बरसाने की हुरियारन ।
तू बन जइयो मेरौ रंग डरइया ।
हर फागुन बन जाऊं मैं चिरइया ।
उड तेरे धौरे चली आऊँ रे कन्हइया ।
मै तौ बन जाऊं बरसाने की हुरियारन ।
तू बन जइयो मेरौ रंग डरइया ।
Comments are closed.
बहुत ख़ूब !
बहुत ख़ूब !