मुक्तक
दिन ढल जाता है साम हो जाती है ।
अंधेरा छा जाता है रात हो जाती है।
खिल जाता है फूल मुस्कुराते हुए,
हवाओं के साथ खुशबू फैल जाती है।
_______रमेश कुमार सिंह /
दिन ढल जाता है साम हो जाती है ।
अंधेरा छा जाता है रात हो जाती है।
खिल जाता है फूल मुस्कुराते हुए,
हवाओं के साथ खुशबू फैल जाती है।
_______रमेश कुमार सिंह /