ग़ज़ल
इतराये बादल। छुप जाये बादल।। रो रो कर आँसू, ढलकाये बादल। प्यासी देख धरा झट छाये बादल। आज जुल्म इतना,
Read Moreग़ज़ल बनकर तेरी याद की ख़ुश्बू आये हैं दर्द के कुछ कस्तूरी आहू आये हैं रात अमावस की औ” यादों
Read Moreईशोपनिषद- काव्यभावानुवाद ईशोपनिषद के प्रथम मन्त्र ..”ईशावास्यम इदं सर्वं यद्किंचित जगत्याम जगत |” ”तेन त्यक्तेन भुंजीथा मा गृध कस्यविद्धनम
Read More“अब पोते को पालती, पहले पाली पूत” …वाह! क्या सच्चाई बयान करती कविता है |’ सत्यप्रकाश जी कविता पढकर भाव-विभोर
Read Moreकुछ तुम रुको कुछ हम रुकें चलती रहे ये ज़िंदगी कुछ तुम झुको कुछ हम झुकें ढलती रहे ये ज़िंदगी
Read More1 गीली डंडा,खेलती, टोली चलती साथ। राजा बाजा खेलते,पकड़B सखा का हाथ ।। 2 आज कहीं पर मिल गया, बचपन
Read Moreमाँ मैं जब बहुत छोटी सी थी तभी से मेरी माँ बूढ़ी सी हो रही थी और बीमार भी बहुत
Read Moreपहाडी नदियों के तीव्र वेग की तुलना जीवन में जवानी के उदात्त प्रवाह से की जाती रही है | दूसरे
Read Moreसर्वस्व चल रहे हैं जश्न आज है महिला दिवस आई है कोई नवक्रांति मन रहा कोई नव दिवस! सोसिअल मीडिया
Read More