जानिए आर्य ब्राह्मणो और यंहा के मुख्य निवासियो के बारे में
जानिए कौन थे आर्य ब्राह्मण और दस्यु –
प्रसिद्ध विद्वान् राहुल सांकृत्यायन जी अपनी पुस्तक ‘वोल्गा टू गंगा ‘ में आर्य ब्राह्मणों को बाहर (वोल्गा के उत्तर से) का आया तो बताते हैं , बाल गंगाधर तिलक जी भी अपनी पुस्तक ‘ the artic home in vedas’ में आर्य ब्राह्मणों को बाहर (उत्तरी ध्रुव)का आया बताते हैं ।
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविधालय के पूर्व उपकुलपति डॉक्टर सत्यकेतु विद्यालंकार अपनी पुस्तक ‘ भारतीय संस्कृति और उस का इतिहास ‘ के पेज नंबर 12 में लिखते हैं ” आर्यो की जो शाखाएं भारत में प्रविष्ट हुई , उसे इस देश में अनेक आर्यभिन्न जातियो के साथ युद्ध करने पड़े थे .आर्यो ब्राह्मणों ने इस देश में विकसित हुई पूर्ववर्ती सभ्यताओ के स्थान पर अपनी सत्ता स्थापित की ।वेदों में इन्हें दस्यु या दास कहा गया । दस्यु या दास लोगो को अनास( नासिका हीन या छोटी नाक वाले जिनकी भाषा अलग होती थी) अच्छे किलो में। निवास करते थे उ से विजय प्राप्त करने के लिए आर्यो को घनघोर युद्ध करने पड़ते थे ”
परन्तु यदि हम उक्त विद्वानों के कथन को थोड़ी देर के लिए एक तरफ भी रख दें तो हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी इसके स्पष्ट संकेत मिलते हैं की आर्य ब्राह्मणो का मूल स्थान भारत नहीं था ।ऋग्वेद पूरा आर्य और अनार्यो के युद्ध से भरा पड़ा है जैसे की –
इंद्र ने शंबर के 99 नगरो को नष्ट किया ( ऋग्वेद मंडल 5 , सूक्त 29 , मन्त्र 6)
इंद्र ने वृत आदि असुरो को 81 बार मारा ( ऋग्वेद 1/53/9)
इंद्र ने 30 हजार राक्षसो को मारा ( ऋग्वेद 4/30/21)
इंद्र ने युद्ध करने आये सुश्रवा नाम के राजा और उसके साथ 20 राजाओ , अनुचरों को पराजित किया ( ऋग्वेद 1/53/9)
इंद्र ने कृष्ण नाम के असुर को अंशुमती (यमुना) के तट कर हत्या की
इंद्र हमारी स्तुति जान के दस्यु के प्रति अस्त्र निक्षेप करो (1/103/3)
इसी प्रकार आर्यो -अनार्यो के युद्धों से ऋग्वेद का एक बहुत बड़ा भाग घेरे हुए है जिसमे बाहरी आर्य ब्राह्मण मुख्य निवासियो जिन्हें दस्यु /राक्षस / असुर कहा गया उनसे युद्ध करते हैं और उनका क़त्ल करते है और हराते हैं ।
अब ये दस्यु कौन थे ?इसको स्पष्ट करते हुए दयानंद जी सत्यार्थ प्रकाश में कहते हैं “ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य द्विजो का नाम आर्य और शुद्रो का नाम अनार्य ‘( अष्टम समुल्लास )
प्रसिद्ध पुरात्तव विज्ञानी और इतिहासकार सर जान मार्शल ने सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता का तुलनात्मक अध्यन किया और निष्कर्ष निकाला –
1- आर्यो के जीवन में घोड़ो का बहुत अधिक महत्व था पर सिंधु घाटी के लोग इस से अपरचित मालुम होते है
2- सिंधु घाटी के लोग हाथी और सिंह से परचित थे पर आर्य अपरचित
3- सिंधु घाटी के लोग मूर्ति पूजक थे जबकि वेदों में मूर्ति पूजा का विरोध है ( न तस्य प्रतिमास्ति)
इसके आलावा आर्य ब्राह्मण बाहर से आये हैं इसका उदहारण स्पष्ट दिखता है ।ऋग्वेद में आर्यो ब्राह्मणो द्वारा अपने आये रास्ते पर कब्जे का भी जिक्र है ।
“जिस रास्ते से हमारे पितृ गए वह रास्ता अभी भी हमारे अधिकार में है ‘ ( ऋग्वेद मंडल 10,सूक्त 14 मन्त्र 2)
आर्य ब्राह्मण भारत के साथ नहीं आये थे बल्कि की अलग अलग समय में टुकड़ियों में आये थे और यंहा आने का जो मार्ग था ( तिब्बत आदि) वह उनके वंशजो को पता था ।
अब मैंने पिछले लेख मेंकहा था की आर्य ब्राह्मणों के साथ स्त्रियों आने का कोई संकेत नहीं है , बल्कि उन्होंने यंही की स्त्रियों को उनके परिजनों की हत्या करने या हराने के बाद अपने पास रखा , उसका संकेत भी ऋग्वेद में ही मिल जाता है ।
ऋग्वेद , मंडल 10 के सूक्त 95, मन्त्र 15 में स्त्रियों के प्रति घृणा दिखाई गई है कहा गया है ” स्त्री का हृदय भेड़िये के ह्रदय के समान कठोर है ”
निश्चय ही आर्य ब्राह्मण जिन अनार्य स्त्रियों को युद्ध में जीतता था और उन्हें दासी बनाता होगा वे स्त्रियां उनसे नफरत करती होंगी और मौका मिलते ही बदला भी लेती होंगी अत: वैदिकों ने स्त्रियों को भेड़िये के समान कहा ।
ठीक ऐसा ही जब इस्लामिक आक्रमणकारी भारतीयो राजाओ पर आक्रमण करते थे तो यंहा की स्त्रियां उनसे बचने के लिए आग में कूद जाती थी ।
आर्य ब्राह्मण स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार करता था इसका उदहारण अधर्ववेद में मिलता है , अध्याय 3 सूक्त 25 , मन्त्र 5-6 में कहा है ‘ कुशा से पीटता हुआ … हे स्त्री! मैं तुम्हे माता पिता के घर से लाता हूँ ताकि तू मेरी आज्ञा माने ”
तो मित्रो लेख यदि मैंने सभी उदहारण देने चाहे तो लेख इतना लंबा हो जायेगा की पढ़ना कठिन और अरुचिकार हो जायेगा , अत: इतने उदहारण अभी के लिए काफी होंगे की कैसे आर्य ब्राह्मण मूलरूप से बाहर से आये और उन्होंने यंहा के लोगो को जीता और उन्हें दश्यु ,राक्षस आदि कहा ।
मैंने आपको यह भी उदहारण दिया की उनके साथ कोई स्त्रियां नहीं थी जैसा की सिकन्दर, हूण , इस्लामिक आक्रमणकारियो के साथ नहीं थी ।
श्रीमान नास्तिक का अर्थ भी समझाइये ,कृपया …
आप का लेख अच्छा लगा , मनमोहन कुमार आर्य और विवेक आर्य के लेख भी पड़ता हूँ और मुझे आप सब से गियान परापत हो रहा है , धन्यवाद .
आप का लेख अच्छा लगा , मनमोहन कुमार आर्य और विवेक आर्य के लेख भी पड़ता हूँ और मुझे आप सब से गियान परापत हो रहा है , धन्यवाद .