भावगीत : तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशिर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
— भरत मल्होत्रा