दोहे
पीकर प्याला प्रेम का ~ सब जग पागल होय
कोई पूजे प्रीति को~प्राण गँवाता कोय ।।
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पिया हैं ज्यों परमात्मा ~करती प्रेम प्रलाप
प्रेम पुजारन आत्मा~ जाने पुण्य न पाप ।।
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पुनि पुनि नाम पुकारते ~ देते प्रेम प्रमाण
प्रभु जी तेरी प्रीति में~ पगे हुए हैं प्राण।।
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कठिन प्रतीक्षा की घड़ी~ पल पल अश्रु बहाय
प्रेम परीक्षा ले रहे~ प्रियतम पास न आय ।।
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पैर पखारे प्रेम ने ~ प्रेम करे विषपान
प्रेम चखे फल झूठरे~ प्रेम रचे भगवान।।
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प्रीति भाव पावन प्रबल~प्रीति रीति निष्काम
प्रीति लीन पाएं सदा ~प्रमुदित प्रभु पद धाम ।।
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ह्रदय पुष्प की पंखुरी~ प्रेम बिना पाषाण
प्रेम हिलोरें मारता ~ मदन चलाएं बाण ।।
वाह्ह
बेजोड़ लेखन
उम्दा सोच की अद्धभुत अभिव्यक्ति
बहुत बहुत शुक्रिया प्रथम स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु जीजी??