मुक्तक/दोहा

दोहे

पीकर प्याला प्रेम का ~ सब जग पागल होय
कोई पूजे प्रीति को~प्राण गँवाता कोय ।।
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पिया हैं ज्यों परमात्मा ~करती प्रेम प्रलाप
प्रेम पुजारन आत्मा~ जाने पुण्य न पाप ।।
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पुनि पुनि नाम पुकारते ~ देते प्रेम प्रमाण
प्रभु जी तेरी प्रीति में~ पगे हुए हैं प्राण।।
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कठिन प्रतीक्षा की घड़ी~ पल पल अश्रु बहाय
प्रेम परीक्षा ले रहे~ प्रियतम पास न आय ।।
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पैर पखारे प्रेम ने ~ प्रेम करे विषपान
प्रेम चखे फल झूठरे~ प्रेम रचे भगवान।।
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प्रीति भाव पावन प्रबल~प्रीति रीति निष्काम
प्रीति लीन पाएं सदा ~प्रमुदित प्रभु पद धाम ।।
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ह्रदय पुष्प की पंखुरी~ प्रेम बिना पाषाण

प्रेम हिलोरें मारता ~ मदन चलाएं बाण ।।

 

अंकिता कुलश्रेष्ठ

नाम:अंकिता कुलश्रेष्ठ पिता जी : श्री कामता प्रसाद कुलश्रेष्ठ माता जी: श्रीमती नीरेश कुलश्रेष्ठ शिक्षा : परास्नातक ( जैव प्रौद्योगिकी ) बी टी सी निवास स्थान : आगरा पता: ग्राम व पोस्ट सैयां तहसील खेरागढ़ जिला आगरा उत्तरप्रदेश

2 thoughts on “दोहे

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    वाह्ह
    बेजोड़ लेखन
    उम्दा सोच की अद्धभुत अभिव्यक्ति

    • अंकिता कुलश्रेष्ठ

      बहुत बहुत शुक्रिया प्रथम स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु जीजी??

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