मां की महिमा
अंतर्राष्ट्रीय मातृदिवस (8.5.16 पर विशेष गीत)
मां की महिमा
हे मां हमें तेरे चरणों में, सुख तीन लोक का मिलता है
मिटें पाप-ताप-संताप यहां, मन-सुमन यहीं पर खिलता है-
1.हमें तूने ही है जन्म दिया, दुनिया तूने दिखलाई है
अब तो जिस ओर नज़र जाए, बस देती तू ही दिखाई है
नज़रों में (2) उजाले भर जाते, जब मुखड़ा तेरा दिखता है-हे मां हमें तेरे–
2.हम जहां रहें जैसे भी रहें, तुझको न भुला पाएंगे मां
तुझसे ही वजूद हमारा है, हम आभारी तेरे हैं मां
तेरा कोमल कर (2) सिर पर जो रहे, दुःख-दर्द का पर्वत हिलता है-हे मां हमें तेरे–
बहुत अच्छी कविता वा भावनाएं। माँ के बारे में जितना भी कहा व सुना जाए, काम है। सादर नमस्ते बहिन जी।
प्रिय मनमोहन भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह लाजवाब सृजनबहन जी प्रणाम
प्रिय राजकिशोर भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.
बढियां
प्रिय सखी नीतू जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद.
अत्ति सुन्दर कविता .
प्रिय गुरमैल भाई जी, सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.