मुक्तक
1.
ज़ख्मों को हवा देकर भी क्या पाओगे
फिर अतीत से ही जुड़े रह जाओगे
शायद कुछ सही न था उन बातों में
फिर उन्हें दोहरा कर बिखर जाओगे।।।
2.
परोपकार की कोई परिभाषा नहीं होती
हर किसी की सोच एक सी नहीं होती
खुद से पहले जो जन और की सोचे
ऐसी भावना हर किसी में नहीं होती।।।
कामनी गुप्ता ***