माता पिता
नही मात पिता का ध्यान रखा अब पछताते क्या होता ।
समय का पहिया चलता ऐसा देखो आगे क्या होता ।
आज जो उनपर बीती है कल फिर दुहरायी जायेगी।
जैसे तुमने छोडा उनको अब तेरी बारी आयेगी
ब्रध्दाश्रम में बैठे बैठे सोच यही दोहराओगे ।
नींद नहीं होगी आखों में चैन नहीं तुम पाओगे ।
बच्चों पर अभिमान है तुमको कल वो तोडा जाएगा ।
बीज जो बोया था तुमने कल ब्रक्ष यही बन जाएगा ।
स्वर्ग नर्क इस धरती पर है अब तक समझ नही पाये।
मात पिता की करें अवग्या फिर कैसे खुशियाँ आयें।
— अनुपमा दीक्षित “मयंक “