कविता

माता पिता

नही मात पिता का ध्यान रखा अब पछताते क्या होता ।
समय का पहिया चलता ऐसा देखो आगे क्या होता ।
आज जो उनपर बीती है कल फिर दुहरायी जायेगी।
जैसे तुमने छोडा उनको अब तेरी बारी आयेगी

ब्रध्दाश्रम में बैठे बैठे सोच यही दोहराओगे ।
नींद नहीं होगी आखों में चैन नहीं तुम पाओगे ।
बच्चों पर अभिमान है तुमको कल वो तोडा जाएगा ।
बीज जो बोया था तुमने कल ब्रक्ष यही बन जाएगा ।

स्वर्ग नर्क इस धरती पर है अब तक समझ नही पाये।
मात पिता की करें अवग्या फिर कैसे खुशियाँ आयें।

अनुपमा दीक्षित “मयंक “

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com