कविता

कविता

पानी खारा हुआ तो यूं ही
आँखों से बह जायेगा
न तो मन की न आँखों की
प्यास बुझ वह पाएगा
क्यों प्यासे मन की तृष्णा को
ऐसे दुगना करते हो
इसी लिए कहता हूँ मन को
पावन गंगा जल कर लो।

कुछ भी बोलो कहाँ मना है
बिना अस्थि की जिह्वा है
कठिन शब्द कुछ असी से होते
घाव हृदय में लगता है
भरता नहीं किसी औषधि से
जीवन भर वह चुभता है
इसी लिए कहता हूँ मन को
सुंदर सुधा सुरस कर लो।

कितनी ऊंचाई हो बेशक
फिर भी अम्बर ऊँचा है
उस के नीचे सारा भूतल
अम्बर ही बस ऊँचा है
गगन चुम्भी बेशक हो जाये
पर अम्बर से नीचा है
इसी लिए कहता हूँ मन को
निश्छल नील निरभ्र कर लो।

किस किस को जाने हाथों से
छूने को मन करता है
कुछ को हाथ और कुछ आँखें
कुछ को मन छू लेता है
माटी है सब कुछ ही फिर भी
माटी में मन रमता है
इसी लिए कहता हूँ मन को
पारस के जैसा कर लो।

माटी की खुशबू ही मन को
हर्षित सा कर देती है
मलयानिल जैसी मादकता
फिर फिर स्मरण होती है
इसी गंध के लिए सदा ही
मन मृग खूब भटकता है
इसी लिए कहता हूँ मन को
पावन चंदन सा कर लो।

कुछ भी हो मन बिंदु बिंदु पर
मचल मचल क्यों जाता है
उपर जाने की इच्छा में
फिर नीचे को आता है
बीच फंसा रहता है मन ही
इसी लिए वह पिसता है
इसी लिए कहता हूँ मन को
विजयी स्वयं से भी कर लो।

डॉ वेद व्यथित

डॉ. वेद व्यथित

ख्यात नाम : डॉ. वेद व्यथित नाम : वेद प्रकाश शर्मा जन्म तिथि : अप्रैल 9,1956 शिक्षा : एम्० ए० (हिंदी ),पी एच ० डी० शोध का विषय "नागार्जुन के साहित्य में राजनीतिक चेतना मेरठ विश्व विद्यालय मेरठ वर्तमान पता : अनुकम्पा -1577 सेक्टर -3 ,फरीदाबाद -121004 फोन नम्बर : 0129-2302834 , 09868842688 ईमेल : [email protected] Blog : http://sahiytasrajakved.blogspot.com सम्प्रति : अध्यक्ष - भारतीय साहित्यकार संघ (पंजी ) संयोजक - सामाजिक न्याय मंच (पंजी) उपाध्यक्ष - हम कलम साहित्यिक संस्था (पंजी ) शोध सहायक - अंतर्राष्ट्रीय पुनर्जन्म एवं मृत्योपरांत जीवन शोध केंद्र इंदौर ,भारत परामर्श दाता - समवेत सुमन ग्रन्थ माला सलाहकार - हिमालय और हिंदुस्तान विशेष प्रतिनिधि - कल्पान्त सम्पादकीय परामर्श - ब्रह्म चेतना सम्पादकीय सलाहकार - लोक पुकार साप्ताहिक पत्र संस्थापक सदस्य - अखिल भारतीय साहित्य परिषद ,हरियाणा प्रान्त पूर्व सम्पादक - चरू (साहित्यिक पत्र ) पूर्व प्रांतीय सन्गठन मंत्री - अखिल भारतीय साहित्य परिषद परामर्श दाता : www.mohantimes .com (इ पत्रिका ) जापानी हिंदी कवि सम्मेलनों में सहभागिता अनुवाद : जापानी,रुसी ,फ्रेंच , नेपाली तथा पंजाबी भाषा में रचनाओं का अनुवाद हो चुका है प्रकाशन : मधुरिमा (काव्य नाटक ) १९८४ आखिर वह क्या करे (उपन्यास )१९९६ बीत गये वे पल (संस्मरण )२००२ आधुनिक हिंदी साहित्य में नागार्जुन (आलोचना )२००७ भारत में जातीय साम्प्रदायिकता (उपन्यास )२००८ अंतर्मन (काव्य संकलन )२००९ न्याय याचना (खंड काव्य ) 2011 साहित्य पर शोध : 'बीत गए वो पल' संस्मरण में सामाजिक चेतना कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय कुरुक्षेत्र 'आखिर वह क्या करे ' उपन्यास में अन्तर्द्वन्द की अवधारणा विनायक मिशन्स विश्व विद्यालय तमिल नाडू 'भारत में जातीय साम्प्रदायिकता ' उपन्यास में सामाजिक बोध krukshetr विश्व विद्यालय 'मधुरिमा' काव्य नाटक पर शोध कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय नवीन सर्जन : * "व्यक्ति चित्र " नामक नवीं विधा का सर्जन किया है * "त्रि पदी" काव्य की नई विधा का सर्जन किया है अन्य *कुरुक्षेत्र विश्व विद्यालय में आयोजित एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अंतिम सत्र की अध्यक्षता * शताधिक साहित्यिक समारोह व गोष्ठियों की अध्यक्षता की है अंर्तजाल (Internet) पर प्रकाशित विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशन : www.pravasiduniya.com www.sahityashilpi.com www.p4poetry.com http://sakhikabira.blogspot.com http://aakhrkalsh.blogspot.com http://blog4varta.blogspot.com http://utsahi.blogspot.com www.chrchamnch.com www.janokti.com www.srijangatha.com www.khabarindya.com etc. सम्मान : साहित्य सर्जन के लिए "समाज गौरव "सम्मान भारतीय साहित्यकार संसद द्वारा "मोहन राकेश शिखिर सम्मान पत्रकार विश्व बन्धु सम्मान युवा कार्यक्रम एनम खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सम्मान हिमालय और हिंदुस्तान एवार्ड हरियाणा सरकार द्वारा आपात काल के विरुद्ध किये संघर्ष के लिए ताम्र पत्र से सम्मानित विभिन्न विधाओं में निरंतर लेखन....